देशभर में शैक्षणिक संस्थानों के जरिए अभियान चलाया जाएगा। अलग-अलग नामों से देश में मनाए जाने वाले इन त्योहारों की खासियत एक दूसरे के साथ साझा होगी। इस अभियान के तहत एक-दूसरे की भाषा सीखने वाला अभियान पहले चलाया जा चुका है।
नई दिल्ली, आजादी के अमृत महोत्सव में देश को एक सूत्र में पिरोने की पहल को मजबूती देने के लिए केंद्र ने सभी राज्यों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाने की पहल की है। जिसके तहत सभी राज्य एक-दूसरे के प्रमुख त्योहारों को अब अपने यहां भी मनाएंगे। साथ ही लोगों को इससे परिचित भी कराएंगे। फिलहाल इसकी शुरुआत मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी से होने जा रही है। जिसे देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूदा समय में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इनमें शैक्षणिक संस्थानों पर विशेष फोकस किया गया है। साथ ही देशभर के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से इनमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए भी कहा है।
राज्यों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव बढ़ाने की यह पहल एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत की गई है। इससे पहले राज्यों के बीच आपसी जुड़ाव को मजबूती देने के लिए एक-दूसरे की भाषा को सीखने और बोलने का भी अभियान चलाया गया था। शिक्षा मंत्रालय की देखरेख में चलाया गया यह अभियान स्कूल के स्तर पर काफी सफल रहा था, क्योंकि बड़ी संख्या में छात्र एक-दूसरी भाषा के अभिवादन के शब्दों को सीख लिया था।
सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाने के लिए छेड़ा है अभियान
शिक्षा मंत्रालय ने इस दौरान संस्कृति मंत्रालय के साथ मिलकर सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाने का यह अभियान छेड़ा है। साथ ही विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ ही मकर संक्रांति सहित इस नाम से दूसरे राज्यों में मनाए जाने वाले त्योहारों से जुड़ी जानकारी भी साझा की है। जिसमें कौन-सा त्योहार कैसे मनाया जाता है। इसमें कौन-कौन से व्यजंन बनाए जाते है आदि शामिल है। साथ ही इन त्योहारों को मनाने का सुझाव दिया है।
गौरतलब है कि सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने काशी-तमिल संगमम नाम से भी एक बड़ा अभियान चलाया था। जिसमें काशी और तमिल की संस्कृति और सदियों पुराने जुड़ाव में नया रंग भरने की कोशिश की गई थी। मंत्रालय की ओर से इसे काफी सफल अभियान माना जा रहा है।