कश्मीर हमारा है, और रहेगा: PoK खाली करे पाकिस्तान, भारत का ट्रम्प को दो टूक जवाब, तीसरे पक्ष की कोई जरूरत नहीं…


नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के बयान पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका स्वीकार नहीं की जाएगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्‍पेशल प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि, “भारत की नीति स्पष्ट है – जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मसला भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही सुलझाया जाएगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अब कोई लंबित मामला है तो वह सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने का है।

ट्रम्प के दावों को भारत ने नकारा

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया था कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करना चाहते हैं और यह भी कहा कि अगर दोनों देश सीजफायर पर सहमत नहीं होते, तो अमेरिका उनसे व्यापार बंद कर देगा। इस पर भारत ने दो टूक शब्दों में जवाब दिया:

कश्मीर पर मध्यस्थता: जायसवाल ने कहा, “भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर के मसले में तीसरे पक्ष का दखल पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

ट्रेड के बदले सीजफायर: ट्रम्प के उस दावे को भी विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान युद्धविराम पर नहीं मानते, तो अमेरिका उनके साथ व्यापार बंद कर देगा। जायसवाल ने कहा, “7 से 10 मई के बीच भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य हालातों पर चर्चा हुई थी, लेकिन उसमें कहीं भी व्यापार की कोई बात नहीं हुई।”

ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर

भारत ने 6-7 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी। इसके बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी। लेकिन अमेरिका द्वारा इसे “अपने दबाव का नतीजा” बताने की कोशिश पर भारत ने स्पष्ट कर दिया कि निर्णय पूरी तरह संप्रभु और स्वतंत्र था।

भारत ने एक बार फिर दोहरा दिया है कि कश्मीर मसला पूरी तरह भारत का आंतरिक विषय है, और इसमें किसी विदेशी नेता या देश की मध्यस्थता की कोई जगह नहीं। पाकिस्तान से बातचीत तभी संभव है जब वह सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद करे और PoK खाली करे।

विदेश मंत्रालय की प्रेस वार्ता के मुख्‍य बिंदु

  • “हमारा लंबे समय से राष्ट्रीय रुख रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। यह घोषित नीति नहीं बदली है। लंबित मामला पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।”
  • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्यापार पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालात पर बातचीत होती रही। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।”
  • “हमने पाकिस्तानी पक्ष द्वारा दिए गए बयान को देखा है। एक ऐसा देश जिसने औद्योगिक पैमाने पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, यह सोचे कि वह इसके परिणामों से बच सकता है, वह खुद को मूर्ख बना रहा है। भारत द्वारा नष्ट किए गए आतंकवादी बुनियादी ढांचे न केवल भारतीयों की बल्कि दुनिया भर में कई अन्य निर्दोष लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार थे। अब एक नया सामान्य है। पाकिस्तान जितनी जल्दी इसे समझ लेगा, उतना ही बेहतर होगा।” – प्रवक्ता रणधीर जायसवाल
  • “सीसीएस (सुरक्षा पर कैबिनेट समिति) के निर्णय के बाद, सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया है। मैं आपको थोड़ा पीछे ले जाना चाहूंगा। सिंधु जल संधि सद्भावना और मित्रता की भावना से संपन्न हुई थी, जैसा कि संधि की प्रस्तावना में निर्दिष्ट है। हालांकि, पाकिस्तान ने कई दशकों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों को स्थगित रखा है। अब सीसीएस के निर्णय के अनुसार, भारत संधि को तब तक स्थगित रखेगा, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता।”
  • “पिछले हफ़्ते ऑपरेशन सिंदूर के परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने बहावलपुर, मुरीदके, मुज़फ़्फ़राबाद और अन्य स्थानों पर अपने आतंकवादी केंद्रों को नष्ट होते देखा है। उसके बाद, हमने उसकी सैन्य क्षमताओं को काफ़ी हद तक कम कर दिया और प्रमुख एयरबेसों को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर दिया। अगर पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसे उपलब्धियों के रूप में पेश करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। जहाँ तक भारत का सवाल है, हमारा रुख़ शुरू से ही स्पष्ट था। हम पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी ढाँचे को निशाना बनाएंगे। अगर पाकिस्तानी सेना बाहर रहती, तो कोई समस्या नहीं होती। अगर वे हम पर गोली चलाते, तो हम उचित जवाब देते। 9 मई की रात तक पाकिस्तान भारत को बड़े हमले की धमकी दे रहा था। जब 10 मई की सुबह उनकी कोशिश विफल हो गई और उन्हें भारत की ओर से विनाशकारी जवाबी कार्रवाई मिली, तो उनके सुर बदल गए और उनके डीजीएमओ ने आखिरकार हमसे संपर्क किया…”

“…जीत का दावा करना पाकिस्‍तान की पुरानी आदत है। उन्होंने 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी ऐसा ही किया था। ढोल बजाने का पाकिस्तान का पुराना रवैय्या है। परस्त हो जाए लेकिन ढोल बजाओ…”

 


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