रायपुर। कतर में चल रहे फीफा विश्वकप पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। फुटबाल के इस महाकुंभ में कुछ विशेष तकनीकों का इस्तेमाल इसे अधिक रोमांचक और यादगार बना रहा है। इसके लिए डाटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। जानते हैं ऐसी ही कुछ खास तकनीकों के बारे में
कनेक्टेड स्टेडियम
5जी और हाइस्पीड वाइ-फाइ की मदद से ‘कनेक्टेड स्टेडियम’ तैयार किया गया है, जिसकी एक केंद्रीकृत नियंत्रण व्यवस्था है। विश्वकप के सभी मैच आठ स्टेडियम में खेले जाएंगे। इन सभी आयोजनों की 15000 सीसीटीवी कैमरों के जरिये निगरानी की जा रही है। स्टेडियम में लगे 500 से अधिक स्क्रीन पर लाइव फीड, दिशा-निर्देश और आपात स्थिति में अलर्ट जारी करने की भी व्यवस्था है। वहीं प्रत्येक स्टेडियम का डिजिटल ट्विन तैयार किया गया है, जिससे स्टेडियम में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। डिजिटल ट्विन्स यूजर इंटरफेस की तरह काम करता है, यानी वास्तविक स्टेडियम में जो कुछ भी घटित होगा, उसी समय में वह डिजिटल ट्विन में रिफ्लेक्ट होगा। इसमें इस्तेमाल होने वाले थ्रीडी माडल से सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
ट्रांसपोर्टेबल स्टेडियम
दोहा के रास अबू में स्टेडियम-974 को तैयार किया गया है, जिसमें रिसाइकिल किए हुए शिपिंग कंटेनर और माड्यूलर स्टील फ्रेम का इस्तेमाल किया गया है। करीब 40 हजार दर्शक क्षमता वाले इस विशिष्ट स्टेडियम में कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसका डिजाइन काफी आकर्षक है। इसे तैयार करने में पारंपरिक स्टेडियम के मुकाबले बहुत कम सामान का इस्तेमाल किया गया है। विश्वकप इतिहास में यह पहला स्टेडियम है, जिसका विश्वकप के बाद शायद अस्तित्व नहीं होगा। इस स्टेडियम को विघटित कर इसके सामान का इस्तेमाल अन्य जगह पर स्टेडियम तैयार करने में भी किया जा सकेगा। इसे दोहा के तटीय इलाके में तैयार किया गया है, जिससे यह प्राकृतिक ढंग से वातानुकूलित भी है।
अल-रिहला
एडिडास की आधिकारिक मैच बाल ‘अल रिहला’ के अंदर विशेष सेंसर लगा हुआ है, जो गेम स्पीड का पता लगाता है। फीफा का दावा है कि टूर्नामेंट के इतिहास में फ्लाइट के दौरान यह गेंद सबसे तेज होती है। गेंद के अंदर इनर्सियल मेजरमेंट यूनिट (आइएमयू) सेंसर, डेटा को वीडियो आपरेशन रूम में प्रति सेकंड 500 बार भेज सकता है, जिससे किक प्वाइंट की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सेमी-आटोमेटेड आफसाइड टेक्नोलाजी
मैच के दौरान सेमी-आटोमेटेड आफसाइड टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह वीडियो मैच आफिशियल और रेफरी के लिए एक सपोर्ट टूल है, जो त्वरित और सटीक फैसले लेने में मदद करता है। इस तकनीक के तहत स्टेडियम की छत की नीचे 12 ट्रैकिंग कैमरे लगाये गए हैं, जो गेंद के साथ-साथ प्रत्येक खिलाड़ी के 29 डाटा प्वाइंट को ट्रैक करते हैं। इससे खिलाड़ी की सही पोजीशन का पता सेकंड्स से भी कम समय में लगाया जा सकता है। इस तकनीक से आफसाइड काल में आसानी होती है। डेटा ट्रैकिंग और एआइ की मदद से वीडियो मैच अधिकारियों को आटोमैटेड आफसाइड अलर्ट मिलता है।
बोनोकल
दृष्टिबाधित फुटबाल प्रेमियों के लिए भी विश्वकप के मैचों की व्यवस्था की गई है। इसके लिए ‘बोनोकल’ नाम का एक विशेष डिवाइस विकसित की गयी है, जो विश्वकप के डिजिटल कंटेंट को ब्रैली में कनवर्ट कर देगा। इससे दृष्टिबाधित दिव्यांग भी मैचों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। बोनोकल को चैलेंज-22 द्वारा तैयार किया गया है। सुप्रीम कमेटी फार डिलीवर एंड लेगेसी (एससी) द्वारा चैलेंज-22 की शुरुआत की गयी है। इस तकनीकी नवाचार ने विश्वकप को उन लोगों तक पहुंचा दिया है, जो पहले कभी संभव नहीं हो सका था।
फीफा प्लेयर एप
फीफा विश्वकप में पहली बार इस्तेमाल हो रहे इस एप में खिलाड़ियों के प्रदर्शन और उसके विश्लेषण से संबंधित जानकारी होगी। साथ ही फिजिकल परफार्मेंस मैट्रिक्स और फुटबाल इंटेलिजेंस मैट्रिक्स की भी इसमें व्यवस्था है। इसमें लाइन-ब्रेकिंग की घटनाओं, रिसीविंग लोकेशन और गेंद पर कब्जा रखने वाले खिलाड़ी पर दबाव देने आदि की भी जानकारी होगी। इस एप को पेशेवर फुटबालरों की वैश्विक संगठन फिफ-प्रो की मदद से फीफा द्वारा तैयार किया गया है। हर मैच के तुरंत बाद प्रत्येक खिलाड़ी अपने प्रदर्शन के बारे में इस एप से जान सकेंगे।