नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा के दौरान कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने के वीडियो के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट देशभर में महिलाओं की स्थिति पर टिप्पणी की। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार सीजेआई डीवाई चंद्रचड़ ने कहा कि देशभर में महिलाओं के साथ अपराध हो रहे हैं। हम संप्रदायिक संघर्ष में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपट रहे हैं।
दरअसल, सीजेआई ने यह टिप्पणी एक अधिवक्ता की ओर से कही गई उस दलील पर की। जिसमें अधिवक्ता की ओर से कहा गया था कि मणिपुर जैसी घटनाएं राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी हुई है। जिस पर सीजेआई ने कहा कि मणिपुर में हुई घटना को यह कहकर सही नहीं ठहरा सकते ही एसा कहीं और नहीं हुआ है। चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या आप चाहतें कि सभी को महिलाओं को सुरक्षा दें या किसी महिला को सुरक्षा न दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में और क्या हुआ?
इस दौरान कुकी समुदाय की ओर पेश अधिवक्ता कालिन गोंसाल्सेव ने मामले की जांच की सीबीआई जांच का विरोध करते हुए उन्होने रिटायर्ड डीजीपी वाली एसआईटी जांच की मांग की। साथ ही उन्होने इसमें मणिपुर के किसी भी अधिकारी को शामिल न करने की भी मांग की है।
सरकार की ओर से महिलाओं का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व कर रही अधिवक्ता वृृंदा ग्रोेवर ने इसे कुकी समुदाय की महिलाओं पर लक्षित हमले बताया। ग्रोवर ने कहा कि इंफाल में कार धो रही दो महिलाओं पर भीड़ ने अत्याचार किया और उनकी हत्या कर दी। ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि इनका परिवार षिविर में है। 18 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया। उन्होने कहा कि दोनों समुदायों के खिलाफ हिंसा हो सकती है। कुकी महिलाएं जो कि अल्पसंख्यक सयमुदाय है, उनके खिलाफ लक्षित हमला हो रहा है।
सरकार की ओर से पेश सालिटर जनरल तुषार मेहता ने वृृंदा ग्रोवर की दलील पर आपत्ति जताई और कहा कि वे समुदायों का जिक्र न करें और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा न दें।
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा केंद्र में है और उनके पिता और भाई मारे गए हैं। ऐसे में इस पहलू पर भी गौर किया जाए।