केदारनाथ आपदा के एक दशक, रौंगटे खड़े कर देती हैं त्रासदी की यादें, अब भी बाकी हैं जख्मों के निशान


केदारनाथ आपदा को दस वर्ष हो गए हैं। लेकिन अब भी 3183 लोग लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया है। शासन स्तर पर बीते वर्षों तक इन लोगों की खोजबीन के लिए रेस्क्यू अभियान चलाए गए। इस दौरान 703 कंकाल मिले। वहीं, प्रभावित गांवों की सुरक्षा व विस्थापन को लेकर भी कोई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है।

16-17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा से केदारपुरी ही नहीं, गौरीकुंड से लेकर सोनप्रयाग, विजयनगर आदि कस्बों का भूगोल बदलकर रख दिया था। वहीं, केदारनाथ में हजारों यात्री काल का ग्रास बन गए थे।

रुद्रप्रयाग पुलिस के अनुसार केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की खोजबीन को लेकर 1840 एफआईआर स्थानी, राज्य और अन्य प्रदेशों से प्राप्त हुईं थीं। जांच के बाद 1256 एफआईआर को सही मानते हुए जांच शुरू की गई।

703 कंकाल बरामद हुए
इसके अलावा 3886 लोगों की गुमशुदगी भी दर्ज हुईं। खोजबीन के दौरान 703 कंकाल बरामद हुए थे। ये कंकाल, गौरीकुंड-केदारनाथ, केदारनाथ-त्रियुगीनारायण, चौमासी-केदारनाथ, केदारनाथ-वासुकीताल ट्रेक पर मिले थे।

साथ ही आपदा के दौरान पुलिस को 11 शव भी मिले थे, जिनकी शिनाख्त की गई थी। लेकिन आज भी लापता 3183 लोगों का कहीं कोई पता नहीं चल पाया है।


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