पीसीसी मेंबर छविंद्र कर्मा ने की बड़ी मांग, कहा- झीरम नरसंहार पर कवासी लखमा, अमित जोगी का होना चाहिए नार्को


दंतेवाड़ा।  झीरम कांड की दसवीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य व झीरम हत्याकांड में बलिदान हुए महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने बड़ी मांग की है। छविंद्र कर्मा ने अपने ही सरकार के मंत्री कवासी लखमा, अमित जोगी, रमन सिंह, तात्कालिक बस्तर के आईजी मुकेश गुप्ता तोंगपाल और दरभा थाना के तात्कालिक थाना प्रभारियों के नार्को टेस्ट की मांग की है। उन्होंने झीरम मामले की जांच प्रभावित करने को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि उस समय केंद्र में कंग्रेस की सरकार थी और राज्य में भाजपा की सरकार थी। उस समय की राज्य सरकार ने जांच एजेंसी एनआइए (NIA) को जांच में सहयोग नहीं किया था। राज्य में कंग्रेस सरकार बनने के बाद हमें न्याय की उमीद मिली थी, पर केंद्र में बैठी भाजपा सरकार अब तक इस मामले का खुलासा नहीं करना चाहती है।

अपने ही पार्टी के मंत्री की भी नार्को टेस्ट की रखी मांग

झीरम की दसवीं बरसी में फरसपाल में बड़ी संख्या में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा को श्रद्धांजलि देने प्रदेश भर से लोग पहुंचे थे। अपने पिता की बरसी पर पीसीसी मेंबर छविंद्र कर्मा ने बड़ी मांग की। कर्मा ने कहा झीरम का सच सामने आना चाहिए। इस घटना के बाद जितने लोग बचे उनका नार्को टेस्ट होना चाहिए। जिसमें कवासी लखमा, अमित जोगी, रमन सिंह सहित पुलिस के उस समय के तात्कालिक अधिकारियों का नार्को होना चाहिए। छविंद्र ने कहा झीरम हमले में 32 लोग बलिदान हो गए थे। मंत्री कवासी लखमा कैसे बच गए बड़ा सवाल है। लखमा उस क्षेत्र के विधायक थे, क्षेत्र की परिस्थिति के बारे में उनको जानकारी न हो ऐसा हो नहीं सकता। इसलिए नार्को जरूरी है।

अमित जोगी पर लगाए नक्सलीयो के साथ मीटिंग करने के आरोप

छविंद्र कर्मा ने कवासी लखमा के साथ साथ अमित जोगी पर भी बड़े आरोप लगाए हैं। कर्मा ने कहा झीरम हमले से पहले अमित जोगी कोंटा क्षेत्र में कई बार नक्सलियों के साथ मीटिंग में शामिल होते रहें हैं। साथ ही स्वर्गीय अजीत जोगी पर भी आरोप लगाएं है। जोगी पर सुकमा परिवर्तन यात्रा के कार्यक्रम में भारी भीड़ में कंग्रेस के एक एक नेताओं का परिचय मंच से करवाया था और परिचय नेताओं के पहचान उजागर करने के लिए अजीत जोगी ने किया था। अजीत जोगी की भी झीरम हमले में पूरी संलिप्तता थी। छविंद्र कर्मा ने कहा सत्य सामने आना चाहिए। पर केंद्र में बैठी भाजपा सरकार इस हमले में जुड़े लोगों को क्यों बचाना चाहती है बड़ा सवाल है। कर्मा ने कहा झीरम में जिस जगह नक्सली वारदात हुई, वंहा से एक थाना की दूरी दस किलोमीटर, एक थाने की दूरी आठ किलोमीटर थी, पर तीन घंटे तक दोनों थानों से पुलिस के जवान घटनास्थल नहीं पहुंच पाए थे, जो पूरी घटना षडयंत्र के तहत करवाई की गई थी।

 


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