अभी कोरोना वायरस (Corona Virus) का खतरा पूरी तरह से टला भी नहीं कि इस बीच दिल्ली और आसपास के इलाके में एक नई बीमारी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फ्लू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और लोग लगातार खांसी, सर्दी और बुखार की चपेट में आ रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मामले इन्फ्लुएंजा ए वायरस के एच3एन2 (H3N2 Virus) प्रकार से संबंधित हैं. इसको लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) लगातार दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं और लोगों को सावधान करने की सलाह दे रहे हैं.
हवा में फैल रहा एच3एन2 का संक्रमण
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में वायरल इंफेक्शन के डायरेक्टर डॉ. अजय शुक्ला का कहना है कि एच3एन2 (H3N2 Virus) का संक्रमण हवा में फैल रहा है और इसके लक्षण भी कोरोना वायरस (Coronavirus) की तरह ही हैं. आरएमएल अस्पताल के एमडी डॉक्टर अमित सूरी ने बताया कि रोजाना वायरल संक्रमण के 20 से 25 प्रतिशत मामले आ रहे हैं. इससे बचने के लिए कोरोना महामारी के दौरान पालन किए गए सावधानियों का पालन करने की जरूरत है. उन्होंने लोगों से मास्क लगाने और बहुत भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचने की सलाह दी है.
सांस से जुड़ी बीमारी वाले लोग रहें सावधान
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) लगातार इन्फ्लुएंजा ए वायरस के एच3एन2 (H3N2 Virus) प्रकार को लेकर गाइडलाइन जारी कर रहा है और कहा है कि यह सांस संबंधी मौजूदा बीमारी का प्रमुख कारण है. इसलिए, सांस से जुड़ी बीमारी वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए. आईसीएमआर के अनुसार, एच3एन2 वायु प्रदूषण (Air Pollution) की वजह से भी खतरनाक हो सकता है. एच3एन2 का संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण फैलता है, जो पांच से सात दिनों तक रहता है.
एच3एन2 संक्रमण के लक्षण
आईसीएमआर (ICMR) ने बताया है कि इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 से संक्रमित रोगियों में 92 प्रतिशत लोग बुखार से पीड़ित हैं, जबकि 86 प्रतिशत को खांसी, 27 प्रतिशत को सांस फूलने की समस्या और 16 प्रतिशत लोगों को घरघराहट हो रही है. इसके अलावा 16 प्रतिशत मरीजों में निमोनिया के लक्षण दिखे हैं, जबकि 6 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं, जिनको अस्थमा का दौरा पड़ा था. आईसीएमआर ने बताया है कि खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त इसके आम लक्षण हैं. संक्रमित मरीजों को तीन दिनों तक बुखार और तीन सप्ताह तक खांसी की समस्या रह सकती है.
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सभी लोगों को गाइडलाइन का पालन करने की सलाह दी है और साथ ही 50 साल से ज्यादा व 15 साल से कम उम्र के लोगों का ज्यादा सावधान रहने को कहा है. आईएमए के अनुसार, 15 साल से कम और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग अधिक चपेट में आ रहे हैं. वायु प्रदूषण भी इसका एक कारक है, इसलिए डॉक्टर्स लोगों को मास्क लगाने की सलाह दे रहे हैं.
एंटीबायोटिक लेने से बचने की सलाह
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने किसी तरह की एंटीबायोटिक दवा लेने को लेकर चेतावनी दी और कहा है कि इसके लिए किसी तरह की एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं है. आईएमए ने डॉक्टर्स को सलाह दी है कि वे सिर्फ बीमारी से जुड़ी दवाएं ही मरीज को दें. आईएमए ने कहा है कि लोग बीमार पड़ने के बाद लगातार ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर देते हैं और ठीक होने के बाद बंद कर देते हैं, लेकिन ऐसा करने से यह एंटीबायोटिक बाद में शरीर पर बेअसर हो जाता है. इसलिए, इसे लेने से बचना चाहिए.