छत्तीसगढ़ के इस लेखक को अमेरिकी संस्था देगी 41 लाख और अवॉर्ड, पहले भारतीय बने जिन्हें मिला ये सम्मान


रायपुर । हिंदी के शीर्षस्थ कवि, कहानीकार, उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को पेन अमेरिका व्लादिमीर नाबाकोव अवार्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचर-2023 से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 2 मार्च को प्रदान किया जाएगा। वे पहले भारतीय एशियाई मूल के लेखक हैं, जिन्हें इस सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। उन्हें यह अवार्ड विश्व साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया जा रहा है। इस पुरस्कार के रूप में उन्हें 50 हजार डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी, जो भारतीय मुद्रा में 41 लाख रुपए से ज्यादा की राशि होगी।

इस घोषणा के बाद विनोद ने कहा- मैंने कभी पुरस्कार के लिए नहीं लिखा है। ज्ञात हो कि 2023-पेन अमेरिका व्लादिमीर नाबाकोव की तीन सदस्यीय जूरी में अमित चौधरी के साथ रोया हकाकियान और माज़ा मेंगिस्टे शामिल थे। पुरस्कार की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बधाई दी है। उन्होंने लिखा है कि यह हिंदी के लिए बड़ी उपलब्धि है, विनोद जी और पूरे छत्तीसगढ़ को बधाई।

विनोद कुमार ने कहा ‘धन्यवाद, लेकिन मैं तो इस पुरस्कार के बारे में जानता ही नहीं था। मैंने कभी भी पुरस्कार के बारे में सोचकर नहीं लिखा। मैं तो बस लिखता था, और हो गया। पाठकों के बारे में भी नहीं सोचता था कि कौन पढ़ेगा, कौन नहीं पढ़ेगा। लंबे समय तक लिखता रहा। पिछले 8 साल से बच्चों के लिए लिख रहा हूं। बच्चों के लिए लिखते समय सोचना पड़ता है कि कितने बड़े बच्चों के लिए लिखूं। बच्चों के लिए लिखना कठिन काम है। मैं यही सोच कर लिखता रहा कि जितने बड़े बच्चों के लिए लिख रहा हूं, बच्चे उससे जयादा समझदार हैं। इसलिए यदि मैं 6 साल के बच्चे के बारे में लिखता रहा तो 12 साल के बच्चे के लायक लिखा। जो बच्चे मेरे पाठक हैं, जो छोटे हैं, उनकी समझ बड़े बच्चों के पाठक की होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के नांदगांव से मेरा ताल्लुक रहा। मेरी कविता है कि बूढ़ा हो जाऊंगा, तो जाऊंगा…लेकिन मैं बचपन के नांदगांव को खोज रहा हूं। अब वो नांदगांव नहीं है, लेकिन एक बात तय है, आप स्थानीय होंगे, उतने ही वैश्विक होंगे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि छत्तीसगढ़ का रहने वाले की हिंदी ऐसा सम्मान मिलेगा। मेरी हिंदी बदली हुई थी। छत्तीसगढ़ियापन लिए हुए है।

विनोद कुमार शुक्ल की प्रमुख कृतियां…
दीवार में एक खिड़की रहती थी, नौकर की कमीज, हरे घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़, वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिन कर विचार की तरह, अतिरिक्त नहीं, सब कुछ होना बचा रहेगा, कभी के बाद अभी, खिलेगा तो देखेंगे, यासी रासा त, पेड़ पर कमरा, महाविद्यालय, लगभग जयहिंद, आकाश धरती को खटखटाता है, एक कहानी, घोड़ा और अन्य कहानियां,कविता से लंबी कविता आदि।

अब तक इन्हें मिल चुका है अवार्ड-
वर्ष-पुरस्कार पाने वाले लेखक- देश
2000-विलियम एच गास, अमेरिका
2002-मारियो वॉर्गेस लोसा, पेरू
2004-माविस गालैंट, कनाडा
2006-फिलिप रोथ, अमेरिका
2008-सेंथिया ओजिक, अमेरिका
2017-एडोनिस, सीरिया
2018-एडना ओब्रायन, आयरलैंड
2019-सैंड्रा सिस्नेरोस, अमेरिका
2020-एम नोरबेसे फिलिप, टोबैगो
2021-एनी कार्सन, कनाडा
2022-न्गुगी वा थिओन्गो, केन्या

 


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