महात्मा गांधी डेथ एनिवर्सरी: गांधीजी कैसे बने राष्ट्रपिता? जानें बापू के जीवन से जुड़ी रोचक बातें


डेस्क, 30 जनवरी को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक रहे। देश आज गांधी जी की 75 वीं पुण्यतिथि मना रहा है। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें देश-विदेश तक लोग बापू, महात्मा, और भारत के राष्ट्रपिता के तौर पर जानते हैं, को सदियों तक याद रखा जाएगा। गांधी जी के आदर्श, अहिंसा की प्रेरणा, सत्य की ताकत के सामने अंग्रेजों को भी झुकना पड़ गया था। उनके सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा को आज भी लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है। गुजरात के पोरबंद में जन्में मोहनदास ने वकालत की शिक्षा हासिल की लेकिन बाद में आजादी की लड़ाई के लिए सब त्याग स्वतंत्रता संग्राम के पथ पर चलने का फैसला लिया। हालांकि उन्हें खुद नहीं पता होगा कि भविष्य में देश की यह बेटा आजाद भारत का पिता बन जाएगा।

गांधी जी का जीवन परिचय

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में पुतलीबाई और करमचंद गांधी के घर में एक बालक का जन्म हुआ, जिसे मोहनदास करमचंद नाम मिला। मोहनदास ने बचपन में ही मां के धार्मिक व्यवहार और संस्कारों को ग्रहण किया। वह पढ़ाई में अधिक होनहान नहीं थे। गणित में मध्यम दर्जे के विद्यार्थी और भूगोल में काफी कमजोर हुआ करते थे। उनकी लिखावट भी सुंदर नहीं थी लेकिन वह अंग्रेजी में निपुण थे। अंग्रेजी के कारण उन्हें बचपन में कई पुरस्कार और छात्रवृत्तियां मिला करती थीं।

गांधी जी का विवाह और परिवार

जब गांधी जी महज 13 साल के थे, तभी उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा से कर दिया गया था। कस्तूरबा गांधी से कुछ माह बड़ी उम्र की थीं। 15 साल की उम्र में गांधी जी पिता बन गए, हालांकि उनका यह पुत्र जीवित नहीं रहा। बाद में कस्तूरबा और गांधी जी के चार बेटे हुए, जिनका नाम हरिलाल, मणिलाल, रामलाल और देवदास था।

गांधी जी के आंदोलन

गांधी जी ने वकालत की पढ़ाई की। कस्तूरबा ने एक आदर्श पत्नी बन हमेशा उनका साथ दिया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया और 1919 में रोलेट एक्ट कानून का विरोध शुरु कर दिया। इस एक्ट के तहत बिना मुकदमा चलाए किसी भी व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान था। गांधी जी ने सत्याग्रह की घोषणा की। पूरे देश को एकजुट कर आंदोलन किया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नागरिक अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन किए।

महात्मा गांधी कैसे बने राष्ट्रपिता

इतिहास के कुछ किस्से बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के बीच वैचारिक मतभेद थे। लेकिन नेताजी हमेशा ही महात्मा गांधी का सम्मान करते थे। सबसे पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन से दिए गए अपने भाषण में नेता जी ने गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा। अपने भाषण में सुभाष चंद्र बोस ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं।

 


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