जगदलपुर। बस्तर गोंचा पर्व की शुरूआत 11 जून देव स्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हो चुका है, भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी का अनसर काल 25 जून तक जारी रहेगा इस दौरान भगवान के दर्शन नही होगे, 26 जून को भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के दर्शन श्रीमंदिर के बाहर नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ श्रृद्धालू कर सकेगे। परंपरानुसार श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण का कार्य शुरु हो गया है।
सिरहासार भवन में बस्तर के सिद्धहस्त कारीगरों के द्वारा रथ के पहिए का ढांचा तैयार किए जा रहे है। एक सप्ताह में 25 फीट ऊंची काष्ठ रथ बनकर तैयार हो जाएगा, नव निर्मित रथ में रथारूण होकर भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी 27 जून को श्रीगोंचा पूजा विधान के साथ ही जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पंहुचेगे। शताब्दियों से चली आ रही परम्परानुसार बस्तर गोंचा पर्व के नए रथ का निर्माण बेड़ाउमरगांव के सिद्धहस्त कारीगर हरदेव के नेतृत्व में पांच सदस्यों की टीम कर रही है। रथ निर्माण कर रहे कारीगर हरदेव ने बताया कि एक सप्ताह में रथ का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। हरदेव ने बताया कि बस्तर दशहरा के विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण एवं बस्तर गोंचा रथ का निर्माण भी उन्हीं के गांव के कारिगर करते हैं।
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष वेदप्रकाश पांडे ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व के शताब्दियों पुरानी (617 वर्षों की) अक्षुण परंपराओं का निर्वहन 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा किया जाता है। बस्तर गोंचा पर्व की तैयारी पूरे वर्ष जारी रहती है, भगवान जगन्नाथ के एक वर्ष के 12 माह में 13 पूजा विधान अनवरत चलते रहते हैं, जिसमें सबसे वृहद पूजा-विधान बस्तर गोंचा पर्व में संपन्न किया जाता है। वर्तमान में 26 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान एवं 27 जून को श्रीगोंचा पूजा विधान की तैयारी जारी है। श्रीगोंचा पूजा विधान में नवनिर्मित गोंचा रथ सहित तीन रथों पर भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारुढ़ कर श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ स्वामी जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पंहुचेगे जहां 9 दिनों तक श्रृद्धालू भगवान के पुण्य दर्शन लाभ प्राप्त करेंगे।
इस दौरान परंपरानुसार विविध पूजा-विधान व अनुष्ठान बस्तर गोंचा पर्व के कार्यक्रम के अनुसार 26 जून गुरूवार को नेत्रोत्सव पूजा विधान, 27 जून शुक्रवार को श्रीगोन्चा रथ यात्रा, 30 जून सोमवार को अखण्ड रामायण पाठ, 1 जुलाई मंगलवार को हेरा पंचमी पूजा विधान, 2 जुलाई बुधवार को छप्पन भोग अर्पण, 4 जुलाई शुक्रवार को सामूहिक उपनयन संस्कार, 5 जुलाई शनिवार को बाहुड़ा गोन्या रथ यात्रा एवं कपाट फेड़ा पूजा विधान, 6 जुलाई रविवार को देवशयनी एकादशी पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा पर्व आगामी वर्ष के लिए परायण के साथ संपन्न होगा।