RCB Manager Nikhil Sosale bail: बेंगलुरु भगदड़ मामले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) टीम के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले को कर्नाटक हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने 12 जून को RCB और डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स से जुड़े कुल चार अधिकारियों को जमानत दे दी, जिनमें निखिल सोसाले भी शामिल हैं। बता दें कि 4 जून को एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर टिकट को लेकर मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद 6 जून को पुलिस ने इस मामले में निखिल समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था।
शर्तों के साथ मिली जमानत
कर्नाटक हाई कोर्ट ने रॉयल चैलेंजर्स स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले को शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जमानत पाने के लिए उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। इस मामले की पिछली सुनवाई को कोर्ट ने बुधवार तक स्थगित किया था। अब जस्टिस एस.आर. कृष्ण कुमार की अगुवाई में कोर्ट ने निखिल सोसाले सहित तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया।
गिरफ्तारी पर उठे सवाल
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि उन्हें बिना किसी पूर्व जांच के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आदेश पर गिरफ्तार किया गया। उनका यह भी कहना था कि जिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में लिया, उनके पास इस भगदड़ मामले में जांच या गिरफ्तारी करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभी गिरफ्तारियां पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई हैं। पुलिस ने नियमों के तहत कार्रवाई की है।
क्या मुख्यमंत्री दे सकते हैं गिरफ्तारी का आदेश?
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल शशिकरण शेट्टी ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इन सभी आरोपों का जिक्र पहले नहीं किया था। जवाब में याचिकाकर्ता के वकील संदेश चौटा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से अधिकारियों को आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे, जबकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इस पर पीठ ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री के पास ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है? वकील चौटा ने जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कई पुरानी टिप्पणियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री सीधे तौर पर ऐसी गिरफ्तारियों का आदेश नहीं दे सकते।
हाई कोर्ट के आदेश से मिली आरसीबी को राहत
आरसीबी पक्ष की ओर से दलील दी गई कि भगदड़ मामले में जल्दबाज़ी में कार्रवाई की गई है। वरिष्ठ वकील ने उदाहरण देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में एक मंदिर की दीवार गिरने से हुई भगदड़ में पहले न्यायिक जांच कराई गई थी। विशेषज्ञों की सलाह पर कार्रवाई हुई थी। इस मामले में घटना के अगले ही दिन जनहित याचिका दाखिल की गई और फिर एफआईआर दर्ज की गई।
सरकार की ओर से एजी शशिकरण शेट्टी ने कहा कि आरोपियों को देश छोड़ने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कोर्ट से अंतरिम जमानत न देने का अनुरोध किया। वहीं आरसीबी के वरिष्ठ अधिवक्ता सीवी नागेश ने तर्क दिया कि इस घटना में किसी भी आरोपी की मंशा जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की नहीं थी। मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री ने खुद प्रशंसकों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया था।