Bihar Election: बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है l केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है l उन्होंने साफ-साफ कहा है कि अगर पार्टी चाहेगी तो वे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं l चिराग का ये बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला नहीं बल्कि इसके पीछे कई सियासी संकेत छुपे हुए हैं l
सामान्य सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग पासवान
चिराग पासवान लंबे समय से “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का नारा देते आ रहे हैं और अब वे खुद मैदान में उतरकर इसे साबित करना चाहते हैं l पार्टी सूत्रों की मानें तो एलजेपी (रामविलास) के ज़्यादातर नेता और कार्यकर्ता भी यही चाहते हैं कि चिराग विधानसभा चुनाव लड़ें l दिलचस्प बात ये है कि वे किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ सकते हैं l यह दिखाता है कि वे खुद को सिर्फ दलित नेता के दायरे से बाहर लाकर पूरे बिहार का प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं l
पटना की राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं चिराग
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि तीन बार के सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री होने के बावजूद चिराग अब विधायक क्यों बनना चाहते हैं? इसके पीछे राजनीतिक महत्वाकांक्षा तो है ही, लेकिन साथ ही यह भी माना जा रहा है कि चिराग अब बिहार की राजनीति में और भी मजबूत पकड़ बनाना चाहते हैं l उन्होंने खुद कहा है कि “बिहार की राजनीति दिल्ली में बैठकर नहीं की जा सकती” l यह बयान साफ तौर पर दिखाता है कि वे अब दिल्ली से ज़्यादा पटना की राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं l
चिराग पासवान का आरा में कार्यक्रम
8 जून को चिराग आरा में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे हैं, जहां वे अपनी रणनीति और जनता के बीच अपनी छवि को साफ करने की कोशिश करेंगे l वे यह संदेश देना चाहते हैं कि वे किसी एक जाति के नेता नहीं बल्कि सर्वसमाज के नेता हैं l
इस बीच विपक्ष भी चिराग की सक्रियता को लेकर हमलावर हो गया है l आरजेडी ने तो यह तक कह दिया कि एनडीए में अब मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हो गए हैं l एक तरफ जेडीयू और बीजेपी नीतीश कुमार को चेहरा बता रही है, वहीं दूसरी तरफ एलजेपी (रामविलास) चिराग को आगे कर रही है l
फिलहाल साफ है कि चिराग पासवान अब बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने के मूड में हैं l उनका विधानसभा चुनाव लड़ना केवल सीट जीतने का खेल नहीं, बल्कि सत्ता के समीकरण बदलने की बड़ी तैयारी है l