छत्तीसगढ़ को PM का तोहफा: बस्तर को रेल से जोड़ने की ऐतिहासिक पहल को मंजूरी, सीएम साय ने किया आभार प्रकट


रेल मंत्रालय ने रावघाट-जगदलपुर नई रेल लाइन परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। 140 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन की अनुमानित लागत 3513.11 करोड़ रुपये है, जिसका पूरा खर्च केंद्रीय बजट से वहन किया जाएगा। यह परियोजना बस्तर के सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस परियोजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह रेल लाइन बस्तर के दूरस्थ और जनजातीय जिलों को रेल नेटवर्क से जोड़ने का बहुप्रतीक्षित सपना साकार करेगी।

बस्तर के लिए परिवर्तनकारी परियोजना
रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन से कोंडागांव और नारायणपुर जैसे पिछड़े जिले पहली बार देश के रेल मानचित्र पर स्थान पाएंगे। यह रेल मार्ग बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्थलों और समृद्ध जनजातीय संस्कृति को पर्यटकों के लिए सुलभ बनाएगा। इससे स्थानीय पर्यटन उद्योग और रोजगार सृजन को व्यापक बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, यह रेल लाइन यात्रा, व्यापार और लॉजिस्टिक्स की सुविधाओं में सुधार लाएगी।

आर्थिक विकास को नई गति
यह रेल लाइन बस्तर के खनिज संसाधनों के परिवहन को आसान बनाएगी और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने में मदद करेगी। क्षेत्रीय उद्योगों और किसानों को नए अवसर प्राप्त होंगे, जिससे लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में भी सुधार होगा। यह परियोजना बस्तर की अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान करेगी और क्षेत्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह रेल परियोजना न केवल बस्तर के जनजातीय अंचलों को मुख्यधारा से जोड़ेगी, बल्कि इस क्षेत्र को पर्यटन और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर अब परिवर्तन के ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है। रावघाट-जगदलपुर रेललाइन को स्वीकृति देकर केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि विकास अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बस्तर के वनांचल, घाटियों और जनजातीय अंचलों तक उसकी पहुँच सुनिश्चित की जाएगी। यह परियोजना बस्तरवासियों की वर्षों पुरानी अपेक्षा को साकार करने का निर्णायक कदम है।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का समूल उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्वयं बस्तर के दौरे और ‘बस्तर पण्डुम’ जैसे आयोजनों में भाग लेकर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि बस्तर में नक्सल नहीं, अब केवल विकास का युग चलेगा। यह रेललाइन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शासन की निर्णायक और सकारात्मक उपस्थिति को और सशक्त बनाएगी।

रावघाट-जगदलपुर रेलमार्ग से न केवल कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जैसे जनजातीय जिलों को रेल मानचित्र पर स्थान मिलेगा, बल्कि स्थानीय व्यापार, पर्यटन, खनिज संसाधनों का दोहन और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। यह परियोजना शांति, सुरक्षा और समावेशी विकास के त्रिपक्षीय मंत्र को जमीन पर साकार करेगी। बस्तर की धरती अब हिंसा और उपेक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि उम्मीद, अवसर और उन्नति की भूमि बनेगी।

 


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