यदि कोई व्यक्ति परीक्षा प्राधिकरण के साथ साजिश रचकर अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाएगा तो उसे सात साल की सजा होगी।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पेपर लीक करने के अपराध से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी है। राज्य में पेपर लीक करने वालों को अब 10 साल की सजा व एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दोषी की संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है। गुजरात विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गत 24 फरवरी को गुजरात सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2023 पारित कर राज्यपाल देवव्रत को भेजा गया था।
राज्य में लगातार एक दर्जन से भी अधिक पेपर लीक की घटनाएं होने के बाद सरकार ने इस पर अंकुश लगाने को सख्त कानून बनाने की जरूरत बताते हुए इसका मसौदा तैयार किया गया। कानून उन लोगों को दंडित करने के लिए है जो भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र को लीक करते हैं या अनधिकृत तरीके से प्रश्न पत्र प्राप्त कर उसे हल कराते हैं। पेपर लीक जैसी गतिविधियों में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार को तीन साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
परीक्षक टीम के किसी सदस्य या परीक्षा विभाग की ओर से नियुक्त व्यक्ति के काम में बाधा डालने या धमकाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। दोषी को दो साल के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। परीक्षार्थी सहित कोई भी व्यक्ति, जो अनुचित साधनों में लिप्त होता है या अधिनियम के किसी भी प्रविधान का उल्लंघन करता है, वह पांच साल के कारावास से दंडित किया जाएगा। यह सजा बढ़ाकर 10 साल की जा सकेगी। ऐसे आरोपित पर जुर्माना राशि एक करोड़ रुपये तक बढ़ाई जा सकेगी।नए कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति परीक्षा प्राधिकरण के साथ साजिश रचकर अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाएगा तो उसे सात साल की सजा होगी। इसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और एक करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है। अदालत दोषी व्यक्तियों की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश भी दे सकती है।