जन्मजात मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त जिला बना रायगढ़


रायपुर. प्रदेश का रायगढ़ जिला जन्मजात मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त जिला बन गया है। रायगढ़ में जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित पाए गए 35 बच्चों की आंख का सफल ऑपरेशन किया गया है। इनमें से तीन बच्चों की दोनों आंखों की दृष्टि लौटाई गई है। इन सभी बच्चों की उम्र दो से 15 वर्ष के बीच है। ऑपरेशन के बाद इन बच्चों की जिंदगी रोशन हो गई है।

रायपुर के डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायगढ़ के स्वर्गीय श्री लखीराम अग्रवाल स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायगढ़ जिला चिकित्सालय और भुवनेश्वर के एल.बी. प्रसाद अस्पताल में जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों का ऑपरेशन किया गया है। सामान्यतः मोतियाबिंद वयोवृद्ध लोगों में पाया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में मोतियाबिंद की शिकायत जन्म से ही नवजात शिशु की आंखों में देखी जाती है। इलाज व समुचित परामर्श के अभाव में इन बच्चों को पूरा जीवन इस बीमारी के साथ व्यतीत करना पड़ता है। रायगढ़ जिले के सुदूर वनांचलों में भी ऐसे जन्मजात मोतियाबिंद के 35 मामले थे जिनका चिन्हांकन कर शासन द्वारा इलाज उपलब्ध कराया गया।

जन्मजात मोतियाबिंद आंख से जुड़ा एक जन्मजात विकार है, जिससे आंख से कम या धुंधला दिखाई देता है। जन्म से ही किसी बच्चे के आंख की पुतली के आगे धुंधलापन आने को जन्मजात मोतियाबिंद या कंजेनिटल कैटरेक्ट कहा जाता है। जन्मजात मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में हो सकता है। यदि जन्मजात मोतियाबिंद का जल्दी इलाज नहीं किया जाता है, तो आगे चलकर यह दृष्टिगत समस्याओं या अंधापन का कारण बन सकता है।

जन्मजात मोतियाबिंद का समय रहते इलाज जरूरी

अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी-सह-संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि यदि किसी बच्चे में जन्म से मोतियाबिन्द या फिर आंखों में सफेद झिल्ली नजर आए तो उसकी जांच यथाशीघ्र करानी चाहिए। आंखों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन सुबह उठकर एवं रात को सोते समय आंख एवं आंख के चारों ओर की त्वचा को साफ पानी से धोना चाहिए। आंखों व चेहरे को पोंछने के लिए साफ और अपने अलग तौलिए का इस्तेमाल करें। धूप और तेज रोशनी से आंखों को बचाएं और अच्छे किस्म के चश्मे का उपयोग करें। आंखों को दुर्घटना से बचाएं। आतिशबाजी, तीर-कमान चलाने व गिल्ली-डंडा खेलते समय सावधानी बरतें। आंख में कुछ पड़ जाए तो आंख को मलना नहीं चाहिए, बल्कि साफ पानी से आंख धोकर बाहरी कण को बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुस्तक को आंखों से डेढ़ फीट की दूरी पर रखकर पढ़ना चाहिए। चलती बस में या लेटकर या बहुत कम प्रकाश में कभी नहीं पढ़ना चाहिए, इससे आंखों पर जोर पड़ता है। आंखों में अच्छी रोशनी के लिए विटामिन-ए युक्त भोज्य पदार्थ जैसे पालक, गाजर, पपीता, आम, दूध, मछली एवं अंडा का सेवन करें। नीम-हकीमों द्वारा आंख की दवा या सुरमा बेचने वालों की दवा का प्रयोग न करें। आंख में तकलीफ होने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लें।

 


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